जमीं से उठाकर नजर आसमाँ को देखो यारों,
मंजिल मिल ही जाएगी कोशिश करके तो देखो यारों.
सीधी ऊँगली से घी न निकले अगर तो,
ऊँगली जरा सी टेड़ी करके तो देखो यारों.
जिन्हें किस्मत की दास्तानों से न हो मतलब,
बस अपने आप पर ही हो भरोसा,
कहानी जरा अपनी भी पूछ लिया करो यारों.
कभी खुदा से सवाल करना अकेले में,
कभी खुदा को जवाब देके देखना यारों.
यूँ तो आसमाँ में भी छेद नहीं होता,
पर इक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.
जानना चाहो अगर क्या खोया क्या पाया,
कभी पीछे मुड़ के देखो यारों.
जमीं से उठाकर नजर आसमाँ को देखो यारों,
जीत मिल ही जाएगी कोशिश करके तो देखो यारों,
जीत मिल ही जाएगी कोशिश करके तो देखो यारों..........
aasha jagati -nirasha ko mitati -bahut hi shandar rachna .best of luck .mere blog ''vikhyat 'par aapka hardik swagat hai .
ReplyDeleteयूँ तो आसमाँ में भी छेद नहीं होता,
ReplyDeleteपर इक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.
....लेखन की मौलिकता पर ध्यान केंद्रित करें। आप अच्छा लिखते हैं।
very positive outlook....nice
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